सावधान, कोयले पर खाना पकाने से हृदय रोग का बड़ा जोखिम रहेगा
सेहतराग टीम
एक समय देश में सिर्फ लकड़ी या कोयले के चुल्हों पर घरों में खाना बनता था। घर की महिलाएं इन प्रदूषण फैलाने वाले ईंधनों से परेशान रहती थीं। मगर अब समय बदल गया है। देश में हर गरीब परिवार के पास खाना पकाने का गैस और चुल्हा पहुंच चुका है। ऐसे में एक नए अध्ययन ने केंद्र सरकार की हर घर में गैस पहुंचाने की उज्ज्वला योजना को और मजबूत देते हुए ये दावा किया है कि कोयले के चुल्हें पर खाना पकाने से हृदय रोग का खतरा बहुत अधिक बढ़ जाता है।
भोजन पकाने के लिये लंबे समय तक कोयला, लकड़ी या चारकोल के इस्तेमाल के कारण हृदय संबंधी बीमारियों से मौत का खतरा बढ़ सकता है। एक नए अध्ययन में इस बात का पता चला है।
ब्रिटेन के ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के डेरिक बेनेट ने कहा, ‘हमारे अध्ययन में यह सुझाव दिया गया है कि जो लोग खाना पकाने के लिये ठोस ईंधन का इस्तेमाल करते हैं, उन्हें जल्द से जल्द बिजली या गैस का इस्तेमाल करना चाहिए।’
हृदय या रक्त वाहिकाएं से जुड़ी बीमारियां पूरी दुनिया में लोगों की मौत का एक प्रमुख कारण है। इसमें यह सुझाव दिया गया कि ठोस ईंधन जैसे कोयला, लकड़ी या चारकोल से खाना बनाने से वायु प्रदूषण तो होता ही है, साथ ही इससे हृदय रोग से असमय मृत्यु भी हो सकती है। हालांकि इसके सीमित साक्ष्य हैं।
हालिया अध्ययन में खाना पकाने में इस्तेमाल किए जाने वाले ठोस ईंधन एवं हृदय रोग के बीच संबंध बताया गया है। साथ ही ठोस ईंधन से स्वच्छ ईंधन की ओर से रुख करने के संभावित प्रभाव भी बताये गये हैं। इसमें वर्ष 2004 से 2008 के बीच चीन के 10 इलाकों से 30 से 79 उम्र के 3,41,730 व्यक्तियों को शामिल किया गया।
प्रतिभागियों से यह पूछा गया कि वे खाना पकाने के लिये प्राय: किस तरह के ईंधन का इस्तेमाल करते हैं। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में प्रोफेसर झेंगमिंग चेन ने बताया कि हमें यह पता चला कि भोजन पकाने के लिए लंबे समय तक ठोस ईंधन का इस्तेमाल करने से हृदय संबंधी बीमारियों का अत्यधिक खतरा होता है।
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